रिपोर्ट: कृपा मालाराव
आकलैंड, न्यूज़ीलैंड में 20 अगस्त 2022 की शाम एक बार फिर शहर के बेहतरीन कवियों, शायरों. गायकों को देखने- सुनने का अवसर रहा. रेडियो साडेआला और NZ पंजाबी न्यूज़ की और से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया- “4th इंडो- पाक पोएटिक एंड म्यूज़िकल फेमिली इवनिंग.”
सुंदर मंच व्यवस्था और कार्यक्रम से पहले सबको पसंद आने वाला, गरमागरम देसी भोजन भी. लगातार चौथे साल आयोजित इस कार्यक्रम में कई जानी मानी हस्तियां भी उपस्थित थीं, सांसद कंवल जीत सिंह बख्शी, अशरफ़ चौधरी, सनी कौशल आदि.
कार्यक्रम का सञ्चालन किया नासिर खान और तरनदीप सिंह बिलासपुर ने और शम्मा रौशन की जाने- माने शिक्षाविद और लेखक मरहूम प्रोफ़ेसर रईस अल्वी की सुपुत्री फराह अल्वी ने. दर्शकों से भरे हुए बड़े से हाल की ख़ामोशी में पहली गूंज बिखरी आकलैंड की लता मंगेशकर कही जाने वाली विद्या टेके की. उन्होंने अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल प्रस्तुत की –
“रंजिश ही सही दिल ही दुखने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ.”
तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम में विद्या टेके और निसार मिर्ज़ा, ज्योति विर्क सहित शहर के कई नामचीन गायकों ने प्रस्तुतियां दीं. काव्य धारा में हिंदी, उर्दू और पंजाबी की त्रिवेणी बही. “पहचान” की संस्थापक और प्रधान संपादक प्रीता व्यास के अलावा, सोमनाथ गुप्ता, दीप प्रीत साइनी, कार्तिक कंसारा, हन्नान खान, रंजीत संधू, सत्ता वैरोवालिया, मुख्तियार सिंह, अमरजीत लक्खा आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया.
शानदार कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों को सम्मानित करके एवं लकी ड्रा द्वारा कई दर्शकों को उपहार दिए जाने के साथ हुआ. कार्यक्रम से लोग मुंह में जलेबी की मिठास और दिलों में प्रेम की मिठास लेकर लौटे होंगे.
मुझे भोपाल के शायन क़ुरैशी की ग़ज़ल के दो शेर याद आ रहे हैं-
“उठा रखिये हिसाबे दोस्तां दर दिल अगरचे काम मुश्किल है
यह अच्छा है, न बनिये आप पत्थर दिल अगरचे काम मुश्किल है.
इसे मीज़ान पर इक रोज़ रख कर ही तो सबका फ़ैसला होगा
तो रखिये साफ़, बिल्कुल साफ़ अन्दर दिल अगरचे काम मुश्किल है.”