विश्व हिंदी सम्मेलन, फीजी

जसबीर सिंह 

एक छोटा- सा, हरा- भरा, सुंदर, प्रशांत महासागरीय द्वीप-देश है फीजी जहां इस वर्ष (2023) में विश्व हिंदी सम्मलेन का आयोजन हुआ. इस देश में ऐसे बहुत से भारतीय हैं जिनके पूर्वजों को जहाजों में भर कर यहां  लाया गया था और उनसे मजदूरी करवाई गई थी. ये गिरमिटिया कहलाये.


हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल भारत की केंद्र सरकार विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन करती है. 1975 में पहली बार इसका आयोजन नागपुर में हुआ था. भारत के अलावा ये सम्मेलन मॉरिशस,  त्रिनिदाद एंड टोबैगो, ब्रिटेन, सूरीनाम, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका में भी आयोजित हो चुका है.
इस बार 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन फिजी के नेंदी  शहर के देनेराउ कन्वेंशन सेंटर में हुआ.


15 -17 फ़रवरी 2023 की हुए इस सम्मलेन का आयोजन भारतीय विदेश विभाग और फिजियन सरकार का साझा प्रयास रहा. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और फीजी के राष्ट्रपति रातु विलियामे माईवालीली कातोनीवेरे ने दीप प्रज्वलित कर इसका उद्घाटन किया.
सम्मेलन का मुख्य विषय ‘हिन्दी : पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक’ रखा गया था. कार्यक्रम में कई विद्वानों ने अपने पेपर पढ़े, कई स्टाल हिंदी संबंधित विषयों के रहे जिनमें नेशनल बुक ट्रस्ट का बुक स्टाल भी था. भोजन- पानी की व्यवस्था थी और दिन के अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रहे.


इसमें दुनिया के पचास देशों के हिंदी भाषा के विद्वान, लेखक, पत्रकार, अधेयता, अध्यापक और चाहने वाले लगभग एक हज़ार लोग जुटे थे. न्यूज़ीलैंड से इसमें भाग लेने के लिए ‘भारत दर्शन’ के संपादक रोहित कुमार हैप्पी, ‘पहचान’ की संस्थापक और प्रधान संपादक प्रीता व्यास, वेलिंग्टन हिंदी स्कूल की सुनीता नारायण, इनवकारगिल की हिमानी मिश्रा आदि कई लोग पहुंचे. 


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