जय श्री राम

– विनीता गुप्ता

Shri Ram with Dhanush

भारत की माटी का हर कण राम नाम अब बोल रहा.

सबके हिय में राम बसे हैं, अंतर्मन क्या तोल रहा.

उस विराट शब्द की महिमा,

वर्णित कोई न कर पाया,

जिसने जो आभास किया,

बस उतना ही भरमाया.

कोई न बिरला हुआ जगत में,नाम सदा अनमोल रहा.

सबके हिय में राम बसे हैं अंतर्मन क्या तोल रहा.

मर्यादा से सदा विभूषित,

रघुकुल की वो शान हैं,

धर्म कर्म पालन करने हित,

रखी हमेशा आन है.

शील सलिल केअतल उदधि हैं, उथले क्यों टटोल रहा.

सबके हिय में राम बसे हैं अंतर्मन क्या तोल रहा.

जिनकी महिमा सुर मुनि गाते,

मानव में वो शक्ति कहां,

समझ सका न कोई जग में,

ऐसी अनुपम भक्ति कहां.

दिव्य अलंकृत छवि राम की, अंखियां मन की खोल रहा.

सबके हिय में राम बसे हैं, अंतर्मन क्या तोल रहा.

आधा नाम बुलालो लेकर,

रघुबर दौड़े आते हैं,

पावन करते सकल विश्व को,

जीवन सफल बनाते हैं.

मंगलमय ध्वनि गुंजित होती,धरा गगन भी डोल रहा.

सबके हिय में राम बसे हैं अंतर्मन क्या तोल रहा.

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