तुम्हारी आंखों में छुपे मसौदे

– मुकेश इलाहाबादी

दुनिया कि

सारी भाषाएं सीख भी लूं 

तो भी नहीं पढ़ सकता 

तुहारी आंखों में छुपे

मज़मून को.

तुम्हारी आंखों की जादूई लिपि

जो सबसे अलहदा है.

यही वजह है

दुनिया की किसी भी भाषा के वर्णाक्षर

नहीं मैच खाते

कूट भाषा में लिखी मुस्कराहट के

मसौदे से

सिवाय, अंधो की ब्रेल लिपि के

(उंगलियों के स्पर्श से पढ़ी जा सकने वाली लिपि)

लिहाज़ा मेरे पास दो ही विकल्प रह जाते हैं

तुम्हारे मौन

तुम्हरी हंसी

तुम्हारी आंखों में छुपे मसौदे को पढ़ने के

पहला – या तो तुम खुद बता दो क्या लिखा है

या फिर , मेरी उंगलियों को इज़ाज़त दो

छू कर पढ़ सकूं क्या लिखा है?

तुम्हारी खूबसूरत पलकों पे

तुम्हारे नाज़ुक होठों पे

या कि तुम्हारी हंसी

और मौन में

Translate »