– नितेश आर प्रधान
13 जुलाई, 1814 को नेपाल के तनहु ज़िले के चुंडी रामघा में जन्में भानुभक्त का सबसे बड़ा योगदान हिंदू महाकाव्य रामायण का संस्कृत से नेपाली में अनुवाद करना माना जाता है. इससे महाकाव्य रामायण नेपाल की एक बड़ी आबादी के लिए सुलभ हो गया. भारत के सिक्किम और दार्जिलिंग जैसे नेपाली भाषी क्षेत्रों में हर साल नेपाली भाषा के आदि कवि भानुभक्त आचार्य की जयंती मनाई जाती है.
भारत में नेपाली भाषा को विशेष सम्मान प्राप्त है. भारत ने अपने यहां बोली जाने वाली 22 भाषाओं के साथ इसे 1992 से भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर रखा है. भारत में नेपाली बोलने वाली सबसे बड़ी आबादी पश्चिम बंगाल में रहती है. 2001 की जनगणना के मुताबिक़, यहां 10.23 लाख लोगों की मातृभाषा नेपाली है.
पश्चिम बंगाल में भी दार्जिलिंग में भानु जयंती बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है. सांस्कृतिक संगठन, शैक्षणिक संस्थान और सामुयादिक संस्था आदि कवि भानुभक्त आचार्य की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं. ये समारोह नेपाली समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने और युवा पीढ़ी के बीच भाषाई और साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के मंच के रूप में काम करते हैं.
भानु जयंती सिक्किम और दार्जिलिंग दोनों में गहरा सांस्कृतिक महत्व रखती है. यह नेपाली भाषा, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण और प्रचार के महत्व पर ज़ोर देती है.सिक्किम और भारत के पूर्वोत्तर में नेपाली भाषी लोगों का एक बड़ा वर्ग रहता है. सिक्किम के 62.6 फ़ीसद लोग नेपाली बोलते हैं. इसकी वजह से यहां भानु जयंती का महत्व भी है.