बृज भूमि
1. मथुरा वृंदावन बीच डगर में थई थई खेलें सांवरे.
अरे कैसे आवें ग्वालिनें, अरे कैसे आवें ग्वालिनें?
और कैसें आवें ग्वाल?
मथुरा वृंदावन बीच डगर में थई थई खेलें सांवरे.
अरे नाचत आवें ग्वालिनें, अरे नाचत आवें ग्वालिनें,
और गावत आवें ग्वाल.
मथुरा वृंदावन बीच डगर में थई थई खेलें सांवरे.
अरे कहां से आवें ग्वालिनें, अरे कहां को जावें ग्वालिनें?
और कहां से आवें ग्वाल?
मथुरा वृंदावन बीच डगर में थई थई खेलें सांवरे.
अरे मथुरा से आवें ग्वालिनें, अरे मथुरा से आवें ग्वालिनें,
और गोकुल से आवें ग्वाल.
मथुरा वृंदावन बीच डगर में थई थई खेलें सांवरे.
अरे का करती हैं ग्वालिनें, अरे का करती हैं ग्वालिनें?
और का करते हैं ग्वाल?
अरे गऊ चरावें ग्वालिनें, अरे गऊ चरावें ग्वालिनें,
और माखन खावें ग्वाल.
मथुरा वृंदावन बीच डगर में थई थई खेलें सांवरे.
2. रसिया को नार बनावो री रसिया को.
कटि लहंगा गल माल कंचुकी, वाको चुनरी शीश उढाओ री.
रसिया को नार बनावो री रसिया को.
बांह बड़ा बाजूबंद सोहे, वाको नकबेसर पहराओ री.
रसिया को नार बनावो री रसिया को.
लाल गुलाल दृगन बिच काजर, वाको बेंदी भाल लगावो री.
रसिया को नार बनावो री रसिया को.
आरसी छल्ला और खंगवारी, वाको अनपट बिछुआ पहराओ री.
रसिया को नार बनावो री रसिया को.
नारायण करतारी बजाय के, वाको जसुमति निकट नचाओ री.
रसिया को नार बनावो री रसिया को
3.फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद किशोर.
घेर लई सब गली रंगीली, छाय रही छबि छटा छबीली,
जिन ढोल मृदंग बजाये हैं बंसी की घनघोर. फाग खेलन…
जुर मिल के सब सखियां आईं, उमड घटा अंबर में छाई,
जिन अबीर गुलाल उडाये हैं, मारत भर भर झोर. फाग खेलन…
ले रहे चोट ग्वाल ढालन पे, केसर कीच मले गालन पे,
जिन हरियल बांस मंगाये हैं चलन लगे चहुं ओर. फाग खेलन…
भई अबीर घोर अंधियारी, दीखत नहीं कोऊ नर और नारी,
जिन राधे सेन चलाये हैं, पकडे माखन चोर. फाग खेलन…
जो लाला घर जानो चाहो, तो होरी को फगुवा लाओ,
जिन श्याम सखा बुलाए हैं, बांटत भर भर झोर. फाग खेलन…
राधे जू के हा हा खाओ, सब सखियन के घर पहुंचाओ,
जिन घासीराम पद गाए हैं, लगी श्याम संग डोर. फाग खेलन