by Pehachaan
अंहिंस परिवार द्वारा आयोजित किया गया यह अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन. अंहिंस अर्थात् बिना सरकारी धन के देश से बाहर हिंदी के लिए सक्रिय. अंहिंस के अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. जयप्रकाश मानस ने विगत 20 वर्षों से निरंतर विदेशी धरती पर संयोजित किये जा रहे अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “कोई मनुष्य अकेला द्वीप बनकर नहीं रहता. वह स्वयं को सदा शेष से जुड़ने का स्वप्न देखता है. वह औरों के भीतर संपूर्णता की तलाश करते हुए ही अपने अधूरेपन से मुक्ति प्राप्त कर सकता है. यही हिंदी की असली चिंता है. यही हिंदी संस्कृति के वास्तविक सरोकार हैं. इसी पर हमारी हिंदी संस्कृति का भविष्य निर्भर करता है.”
21वें अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, सिलीगुड़ी-भूटान की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध रचनाकार और उत्तराखंड सरकार में उच्च शिक्षा विभाग की पूर्व निदेशक डॉ. सविता मोहन ने कहा कि – “सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित सम्मेलन जहाँ गठजोड़ से, सरकारी धन के अपव्यय का कारण होते हैं, वहीं हमारा यह सम्मेलन परस्पर हृदय को हृदय की बात बताने का सम्मेलन है. हम मिलते नहीं, जुड़ते हैं, जीवन में कभी नहीं अलग होने के लिए और यही अंहिंस परिवार का वास्तविक परिचय है.”
103 हिंदी लेखकों का आत्मीय अभिनंदन
भूटान सम्मेलन में सम्मिलित होने देश भर से पहुँचे रचनाकारों और हिंदीसेवियों के सम्मान में 4 जून 2023 की सुहानी शाम भूटान-भारत सीमा पर सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) के चेकपोस्ट स्थित होटल के सभागार में ‘स्नेह समारोह’ आयोजित किया गया. सिलीगुड़ी की सक्रिय साहित्यिक संस्थाओं – हिंदी पत्रिका ‘आपका तिस्ता हिमालय’, अकादमिक प्रतिष्ठान ‘उत्तर बंग हिन्दी ग्रंथागार’ एवं ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘द सन एक्सप्रेस’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित स्नेह समारोह में 103 से अधिक रचनाकारों, संपादकों व हिंदी-शिक्षकों को प्रतीक चिन्ह, उत्तरीय, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया.
ज़ोंगखा की ज़मीन पर हिंदी की 31 किताबों का लोकार्पण
21वें अंहिंस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हिंदी की 31 कृतियों और पत्रिकाओं के नये अंक का विमोचन हुआ, इसमें शामिल हैं – सद्धर्म की पाठशाला और The Ultimate Liberation (आनंद प्रकाश गुप्ता), हिंदीतर प्रदेशों एवं विदेशों में हिंदी (जवाहर गंगवार), मिस्र की यात्रा, राजपूत-यौधेय लौधेय तथा यौधेय और प्रतिहार राजपूत (डॉ. रामकृष्ण राजपूत), कालजयी कम्पिल (डॉ. रत्ना सिंह), प्रकृति का उपहार-राष्ट्राकृति म्यांमार (विद्या प्रकाश कुरील), सीपी में समन्दर, छलाँग लगाती स्त्रिया और पंजाबी अनुवाद (डॉ. वंदना गुप्ता), ऐसे न बुलाओ मुझे, चलो आज कुछ बात कर लें औऱ कुछ रहने भी दो अनकही (ओडिया से हिंदी अनुदित कविता संग्रह – राधू मिश्र), वीमेन आईडी (राजश्री झा), पल-पल के जिनगानी, सुनता के राग तथा छत्तीसगढ़ के प्रयोगधर्मी और अन्वेषी साहित्यकार (छत्तीसगढ़ी – चेतन भारती), काव्य कलिका (वीणापाणि मिश्र), जय जगन्नाथ (नम्रता चड्ढ़ा), आम्ह मा र कहाणी पेड़ी (ओडिया – सौदामिनी सामंतराय), प्रकृति (सुधा पटनायक), स्वप्न राज्य में नन्हें विज्ञानी (बसीरन बीबी), अमर प्रेम (रीता मिश्र), प्रशांत की लोककथाएँ और न्यूजीलैंड की हिंदी यात्रा (रोहित कुमार हैप्पी – न्यूजीलैंड) तथा राजनीति का धरम-करम : धरम-करम की राजनीति (डॉ. जयप्रकाश मानस) । जिन हिंदी पत्र-पत्रिकाओ के नये अंक का विमोचन किया गया है, उनमें समवेत सृजन (अरुंधती भोई), रचना उत्सव (रतिभान त्रिपाठी), तथागत संदेश (डॉ. रमेश सुखदेवे), आपका तिस्ता हिमालय (डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह) आदि प्रमुख हैं.
रचनात्मक योगदान के लिए 14 रचनाकारों का अंलकरण
21वें वार्षिक अलंकरण समारोह में डॉ. रेनू शुक्ला और डॉ. रत्ना सिंह (सिंधु रथ स्मृति सम्मान-11,000 रूपये), ऱीता मिश्र और मंजूला त्रिपाठी (सलेकचंद जैन स्मृति सम्मान-11,000 रूपये), जवाहर गंगवार और चेतन भारती (दाऊ कल्याण सिंह स्मृति सम्मान-11,000 रूपये), डॉ. मनोहर लाल श्रीमाली औऱ बसीरन बीबी (डॉ. सच्चिदानंद त्रिपाठी स्मृति सम्मान-11,000 रूपये), डॉ. अलेख चंद्र पढ़िहारी, आईएएस और राधू मिश्र (डॉ. श्यामलाल निर्मोही स्मृति सम्मान-11,000 रूपये), विद्याप्रकाश कुरील (कर्नल विप्लव त्रिपाठी स्मृति सम्मान-5000 रुपये), युवा तबला वादक हीरालाल साहू (डॉ. ब्रजवल्लभ मिश्र स्मृति सम्मान-5000 रुपये) तथा अरुंधती भोई को (सागर बीच रिजॉर्ट कोवलम यात्रा सम्मान) से पुरस्कृत किया गया. विशेष तौर पर उत्कृष्ट लेखन हेतु 11, 111 रूपये का दाऊ कल्याण सिंह स्मृति सम्मान से डॉ. सविता मोहन को नवाज़ा गया.
इसके अलावा ख्यात पुरातत्वविद डॉ. रामकृष्ण राजपूत (पद्मसंभव गुरु रिन्पोचे स्मृति सम्मान), उपन्यासकार डॉ. हरिसुमन बिष्ट को (पद्मभूषण झाबरमल्ल शर्मा स्मृति सम्मान), डॉ. मंगला रानी, रतिभान त्रिपाठी, किरण बाला जीनगर, और उर्मिला सिंह को (ट्रू मीडिया सम्मान) को सम्मानित किया गया.
ऑकलैंड, न्यूजीलैंड की संस्थाओं द्वारा विशेष सम्मान
21 वें सम्मेलन में जाने-माने खेल पत्रकार और हिंदी कमेंटेटर श्री जसवंत कुमार क्लाडियस नई दुनिया के पूर्व संपादक और लेखक श्री रवि भोई को संपादक द्वय क्रमशः श्री रोहित कुमार हैप्पी ( संपादक भारत दर्शन) तथा प्रीता व्यास (संपादक पहचान) की ओर से ‘भारत दर्शन प्रतिष्ठा सम्मान, न्यूजीलैंड’, तथा ‘अंतरराष्ट्रीय पहचान सम्मान, आकलैंड’ से अलंकृत किया गया.