Pehachaan पहचान

“पहचान”

अए मेरे वतन मेरी आन है तू

मेरा मान है तू, मेरी शान है तू

मैं जहां में चाहे जहां रहूं

मेरी जान है तू, पहचान है तू.

एक समंदर, तीन समंदर, सात समंदर, कितने ही समंदर लांघ के कहीं भी जा बसें, प्रवासियों के दिल में अपना वतन हमेशां धड़कता रहता है. उस धड़कन को जारी रखने का जतन है -“पहचान”.

ये उस पुरानी पीढ़ी की पत्रिका है जो अपनी माटी से उखड़कर दूसरी माटी में खुद को रोपने के, हरा रखने के प्रयास में है और अपनी जड़ों के लिए तड़प महसूस करती है. जड़ों की इस तड़प का खाद-पानी है – “पहचान”.

ये उस नई पीढ़ी की पत्रिका है जो विदेशी धरती पर पैदा हुई, बड़ी हुई, जिसे अपने मूल देश से कुछ ख़ास लगावट नहीं, लेकिन किसी दिन कहीं, किसी सन्दर्भ में पूछा गया ये सवाल कि ओरिजनली (मूलतः) आप कहाँ के हैं? उसे अपने मूल को जानने की जिज्ञासा पैदा करता है, उससे जुड़ने की छटपटाहट पैदा करता है. उस छटपटाहट का मरहम है -“पहचान”.

यूं कह लें कि जो आंखें अपना चेहरा साफ़ नहीं देख पा रहीं उनके लिए ऐनक और जो आंखें अपना चेहरा भूल ही गईं हैं उनके लिए आईना है- “पहचान”.

अपनी कला, संस्कृति, भाषा, साहित्य, बोली- बानी, खान-पान, तीज-त्यौहार, रहन-सहन से जुड़ने का जरिया है-“पहचान”.

जुड़िये और जुड़े रहिये.

प्यार और शुभकामनाओं सहित-

प्रीता व्यास

(संस्थापक/ प्रधान संपादक)

Team Pehachan

टीम पहचान

Preeta Vyas

प्रीता व्यास – Preeta Vyas

संस्थापक/ प्रधान संपादक – Founder/ Chief Editor



प्रिया भारद्वाज – Prieyaa Bhardwaj

ऑन लाइन एडिटर / इवेंट मैनेजर – Online Editor/ Event Manager



Translate »