– आशीष शर्मा (इंडोनेशिया)
बातों में, नारों में, तक़रीरों में,
हिंदुस्तान की बात करते हैं सब,
सच्ची मोहब्बत कितनों को,
ये आजमाईश अभी बाक़ी है.
अनेकता में एकता का ज़िक्र,
हर महफ़िल में,
अमल को कितने हैं तैयार,
ये आज़माइश अभी बाक़ी है.
इसकी मिट्टी में रंगने की बात,
हर कोई करता,
फ़ना होने को कितने हैं तैयार,
ये आज़माइश अभी बाक़ी है.
कौन है वो – मेरा अपना या पराया !
जिसने तिरंगे का अपमान किया,
ये देख कितनों के दिल सच में रोए,
ये आज़माइश अभी बाक़ी है.
मेरा मान और स्वाभिमान भी तू,
विदेश मेरी पहचान भी तू,
कब बनेगी तेरी पहचान हमसे,
ये आज़माइश अभी बाक़ी है.