Author: Pehachaan
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अपने गांव के कुछ भूले बिसरे लोग
(बाबूलाल दाहिया): अपने गांव के भूले बिसरे लोगों में एक नाम अक्सर स्मरण हो आता है वह है बंदू कुम्हार का. बंदू जी अद्भुत आल्हा गायक थे.…
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नैनं दहति पावकः
(सुधा गोयल): अभी कुछ देर पहले ही मेरी मृत्यु हुई है. मैं अपना शरीर छोड़कर धूम्ररेखा की तरह ऊपर उठ रहा हूं. हवा के झोंकों से कभी…
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एक अनुत्तरित प्रश्न
(निशा कुलश्रेष्ठ): तुम दिन भर करती क्या हो? हां, मैं सचमुच दिन भर करती भी क्या हूं?
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तुम्हारी आंखों में छुपे मसौदे
(मुकेश इलाहाबादी): दुनिया कि सारी भाषाएं सीख भी लूं तो भी नहीं पढ़ सकता
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बुंदेलखंड के विवाह और लोकगीत
(वंदना अवस्थी दुबे): हिंदुस्तान विभिन्न संस्कृतियों को समेटने वाला एक अद्भुत देश है. ज़रा-ज़रा सी दूरी पर यहां लोकाचार में भिन्नता स्पष्ट दिखाई देती है. त्यौहार मनाने…
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पृथ्वी पर रहने का किराया
(शरद कोकास): सही-सही बताइये, क्या आपके मन में कभी यह ख़्याल आया है कि अगर हमें पृथ्वी पर रहने का किराया देना होता तो क्या होता?आप सोच…