Category: Poetry
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एक अनुत्तरित प्रश्न
(निशा कुलश्रेष्ठ): तुम दिन भर करती क्या हो? हां, मैं सचमुच दिन भर करती भी क्या हूं?
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तुम्हारी आंखों में छुपे मसौदे
(मुकेश इलाहाबादी): दुनिया कि सारी भाषाएं सीख भी लूं तो भी नहीं पढ़ सकता
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ग़ज़ल
(अजय अज्ञात): कल भी ये अधूरी थी, आज भी अधूरी है. इश्क़ के बिना यारो, ज़िन्दगी अधूरी है. जगमगा रहा है घर, जगमगाते बलबों से ज़ेहन में…