आलेख- हमारी ग्रामीण नवरात्रि: तब और अब (विजयशंकर चतुर्वेदी), आग को पूजने की परंपरा (संजय निरुपम), व्यक्तित्व- समाज सुधारक थे डॉ. राम मनोहर लोहिया (अंकुर सिंह), व्यंग्य- नवरात्रि, नवमी और पेट में खाद्य विस्फोट( पल्लवी त्रिवेदी), कहानी- सरप्राइज़ (रवि ऋषि), आध्यात्म – देवी पूजा का इतिहास (राजेंद्र राजन चतुर्वेदी), धरोहर- रतनगढ़ की माता( कुमार रुपेश), गीत- विनीता गुप्ता, डॉ. निधि सिंह, कविता- माया मृग, कमलजीत चौधरी, तूलिका गणपति मिश्रा, गज़लें- सोमनाथ गुप्ता दीवाना रायकोटी, अतुल अजनबी, अना क़ासमी, बाल कविता- त्रिलोक सिंह ठकुरेला, विदेशों में हिंदी और पुस्तक समीक्षा.
Preeta Vyas, a seasoned radio and journalism professional, has transitioned from India to New Zealand, bringing her rich experience with her. With over 200 published books on a variety of topics, she is dedicated to promoting Indian literature and culture.
प्रीता व्यास रेडियो और पत्रकारिता के क्षेत्र का स्थापित नाम हैं जो भारत में काम करने के बाद अब न्यूज़ीलैंड में कार्यरत है. इनकी विभिन्न विषयों पर 200 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं. वे भारतीय साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं.
मुझे ये जानकार हार्दिक प्रसन्नता हुई कि प्रीता जी शीघ्र ही एक त्रैमासिक “पहचान” का संपादन व प्रकाशन करने जा रही है. आपके पास वर्षों का पत्रकारिता का अनुभव, अनेक पुस्तकों का रचनाकर्म, साहित्यिक पृष्ठभूमि और कलात्मक दृष्टि है. यह सब किसी पत्रिका का भविष्य निर्धारित करने के लिए पर्याप्त है. पत्रिका का शीर्षक बहुत कुछ बता रहा है. यह अपने नाम को सार्थक करेगी ऐसा मेरा विश्वास है. न्यूज़ीलैंड की पत्रकारिता में “पहचान” एक और अध्याय जोड़ देगी, जिसका मतलब हुआ कि न्यूज़ीलैंड की हिंदी यात्रा अविराम अग्रसर है.
(संपादक- भारत दर्शन, न्यूज़ीलैंड)
प्रीता जी सदैव अपने शब्दों से, स्वरों से, विचारों से राष्ट्रीय और अंतर्राष्टीय स्तर पर सबको प्रभावित, प्रेरित, लाभान्वित करती रही हैं और अब सभी क्षेत्रों के, अलग-अलग राष्टों के विद्वानजनों, लेखकों, विचारकों की रचनाओं को संकलित कर “पहचान” पत्रिका के रूप में एक मंच प्रदान कर रही है. इस अद्वितीय कार्य के लिए साधुवाद. मुझे पूर्ण विश्वास है कि अपने नाम के अनुरूप ये पत्रिका विश्व के प्रत्येक राष्ट्र में अपनी “पहचान” बनाएगी और हिंदी का मान बढ़ाएगी.
(ज्योतिष विशारद एवं वास्तुचार्य, भारत)
प्रीता जी की सक्रियता सदा ही चकित करती है. किसी भी काम में जुट जाना और जी जान से उसे पूर्णता तक ले जाना उनकी लगन का प्रमाण है. “पहचान” के रूप में ये नया उपक्रम उनकी पहचान को पुष्ट करेगा पूरा विश्वास है. यह ऑन लाइन पत्रिका देश- विदेश के सभी हिंदी लेखकों और पाठकों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी ये आशा सहज ही की जा सकती है. साहित्य, संस्कृति और जीवन के रचनात्मक पक्षों को सामने लाने में पत्रिका सफल होगी ये विश्वास है.
(प्रख्यात लेखक एवं संस्थापक बोधि प्रकाशन, भारत)
रावणहत्था: राजस्थान के लोकगीतों की जान
उसकी धुन सबको मंत्रमुग्ध कर देती है. उससे झरने वाली स्वर लहरियां एक अजीब-सा सम्मोहन उत्पन्न करती हैं. उससे निकलने वाली धुन शब्द बनकर वातावरण को अपने मोहपाश में बांध देती है. आप समझ ही गए होगें हम किसकी बात कर रहे हैं? जी हां, हम बात कर रहे हैं रावणहत्था की. रावणहत्था एक ऐसा वाद्ययंत्र है जो राजस्थान के लोकगीतों में मिठास भर देता है. Read Now ->
दतिया के बुंदेला राजाओं ने जल स्रोतों की व्यवस्था करने के उद्देश्य से अनेक कुंवे- बावड़ियों का निर्माण कराया था. राजा परीक्षत की बावड़ी उनमें से एक है. मध्य प्रदेश के दतिया के जिला अस्पताल परिसर के अंदर राजा परीक्षत के समय की एक विशाल बावड़ी है. 50 फुट व्यास वाली इस बावडी का निर्माण संवत 1865 सन 1807 ई. में रानी हीरा कुंअर ने करवाया था.
बिल्ली बैठी कार में,
घूम रही बाजार में.
पीली उसकी ड्रेस थी,
जिसपर बढ़िया प्रेस थी.