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ज्ञान ही शक्ति है

“ज्ञान स्वयं एक शक्ति है.” नि:संदेह शक्ति के लिए ज्ञान आवश्यक है, शक्ति ज्ञान की महत्ता को रेखांकित करता है. वस्तुतः ज्ञान तो ईश्वर का प्रकाश है. इससे ज्यादा शक्तिशाली और कुछ हो भी नहीं सकता. यह वह प्रकाश है जो हमारे पथ को प्रशस्त्र कर हमें प्रगति के द्वार तक ले जाता है. यह […]

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समकालीन हिंदी उपन्यासों में अभिव्यक्त किन्नर संघर्ष

समकालीन साहित्य का अध्ययन करने के पश्चात समझ आता है कि स्त्री विमर्श,दलित विमर्श,आदिवासी विमर्श,मुस्लिम विमर्श,अल्पसंख्यक विमर्श,वृद्ध विमर्श,किन्नर विमर्श आदि पर गंभीर चर्चा हुई है. वर्तमान समाज में किन्नर को हिजड़ा, खुसरो,अली,छक्का आदि नाम से पुकारा या पहचाना जाता है. किन्नर के चार प्रकार हैं- बचुरा, नीलिमा, मनसा,हंसा. बचुरा वर्ग के किन्नर वास्तविक हिजड़े होते हैं. वे जन्म से न स्त्री होते हैं ना पुरुष. नीलिमा वर्ग में वे हिजड़े आते हैं, जो किसी परिस्थितिवश या कारणवश स्वयं हिजड़े बन जाते हैं. मनसा वर्ग में वे हिजड़े आते हैं जो मानसिक तौर पर स्वयं को हिजड़ा समझने लगते हैं. हंसा वर्ग में वे हिजड़े आते हैं, जो किसी यौन अक्षमता की वजह से स्वयं को हिजड़ा समझने लगते हैं. किन्नर समाज विश्व के हर क्षेत्र में समाहित हैं. वे मनुष्य ही हैं, सिर्फ़ उनमें प्रजनन क्षमता न होने से समाज हीन नजर से देखता है. हिंदी साहित्य में शुरुआती दौर में पाण्डेय बेचन शर्मा, सूर्यकांत  त्रिपाठी  ‘निराला’,  शिवप्रसाद  सिंह,  वृंदावन  लाल  वर्मा  आदि  ने  किन्नर  समाज  की  समस्या  पर  लिखा  किंतु  समस्या  का  हल  वर्तमान  में  भी  नहीं. हिंदी  साहित्य में किन्नर समाज की समस्या पर अनेक उपन्यास लिखे गए और वर्तमान में भी लिखे जा रहे हैं. प्रमुख उपन्यासों में ‘यमदीप’-नीरजा माधव, ‘मैं भी औरत हूं’-अनुसुइया त्यागी, ‘किन्नर कथा, ‘मैं पायल’-महेंद्र भीष्म, ‘तीसरी ताली’-प्रदीप सौरभ, ‘गुलाम मंडी’-निर्मल भुराड़िया,  ‘प्रतिसंसार’ – मनोज रूपड़ा,  ‘पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा’ -चित्रा  मुद्दगल  आदि.  उपरोक्त  उपन्यासों  का  अध्ययन  करने  के  पश्चात  किन्नर  समाज  की  त्रासदी,  संघर्ष  समझ 

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कबूतर जा जा जा

अपने दिल्ली आवास में पिछले हफ़्ते जब बीमार पड़ी तो एक तो इस बात से चिढ़ हो रही थी कि मेरी छुट्टियां ज़ाया हो रही थीं और दूसरे कि बालकनी में कबूतरों ने काफ़ी आना-जाना, गंदा करना, फड़फड़ाना, गुटरगूं  मचा रखा था. इन कबूतरों को कोसते हुए भी ये ख़याल आता रहा कि कैसी बुरी

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बसंत पर कविताऐं और शरीर के हीट सेंसर्स

बसंत का मौसम आते ही कविगण बसंती हवाओं को देह पर महसूस करने लगते हैं, मस्तिष्क का सोमेटो सेंसरी एरिया जाग जाता है और वह कविता लिखने वाले भाग को प्रेरित करता है- कुछ लिखो भाई और फिर कागज़ पर कलम से लिखा जाता है ओ बसंती पवन पागल, ना जा रे ना जा, रोको

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एक मैं अनेक मैं

अगर मैं आपसे कहूंगी तो आपको शायद यकीन न हो आप इसे किसी विचलित रात का आतंकित सपना समझें किंतु यह अक्षरश: सच है. एक मैं हूं जो यह आलेख लिख रही हूं. एक मैं, ठीक इसी समय पहाड़ पर गिरती बारिश को देख पाने के लिए बेचैन हो उठी हूं. एक मैं, मां भी

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नरक चतुर्दशी / रूप चतुर्दशी

संपूर्ण विश्व में पर्वों का संबंध मूल रूप से कृषि से ही रहा है. लोक जीवन में धर्म का समावेश हो जाने के पश्चात उन पर्वों को धर्म से जोड़ दिया गया और बहुत सुंदर पौराणिक कथाएं गढ़ी गईं.मिथकों में कहीं न कहीं लोक जीवन का प्रतिबिंब दिखाई देता है. वैदिक काल में देव और

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बाल दिवस, पर्यावरण और बच्चे

हम बच्चों को अधिक से अधिक शिक्षा देकर जागरूक बना रहे हैं, बेहतर ज़िंदगी जीने की सीख दे रहे हैं या फिर अच्छा पैसा कमाने के लिये तैयारी करवा रहे हैं? उम्मीदों, सपनों, चुहलताओं और समाज व देश का भविष्य बनने को आतुर बच्चों के लिये यह बाल दिवस महज एक खेल का दिन नहीं

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इसरो की कहानी

भारत का अंतरिक्ष अभियान आज विश्व में नया इतिहास लिख चुका  है, यदि  इसरो के पूर्व अध्यक्ष वसंत गोवारिकर की पुस्तक – “इसरो की कहानी” (प्रकाशक नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया) पढ़ें तो सुखद लगेगा कि जिस संस्था को शुरू करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने एक श्रमिक की तरह अथक  परिश्रम किया था, आज उसकी

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भारत की राष्ट्रीयता

पुराणों में विश्व के 2 प्रकार के विभाजन हैं. 7 लोक और तल-उत्तर गोल का 4 खंड में समतल नक्शा बनता था जो विषुव रेखा को घेरने वाले वर्ग पर पृथ्वी व्यास के 100 गुणे ऊंचे पिरामिड सतह पर प्रक्षेप था. इसे मेरु के 4 रंग के 4 पार्श्व कहा गया है. प्राचीन काल में उज्जैन की देशान्तर रेखा को शून्य मानते थे.

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सांप बचेगा तो धरती बचेगी

आदिकाल में मनुष्य जिससे डरा, जिससे उपकारित हुआ, उन सभी को पूजने लगा. हमारे पूर्वज जानते थे कि हर जीव हर जंतु प्रकृति के अस्तित्व के लिए अनिवार्य हैं सो हर जीव को किसी भगवान या पर्व से जोड़ दिया. सावन माह की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी त्योहार मनाया जाता है. इस दिन नाग

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