ग़ज़ल
1.छत पर बैठे-बैठे तुमसे जीभर बतियाने के बादखिल उठता हूं, जैसे पत्ते बारिश थम जाने के बाद.पानी तन को धो देता है, मन को धोती है पूजामेरा तन-मन धुल जाता है तेरे मुस्काने के बाद.तुमको पाकर मेरा चेहरा खिल-खिल उठता है ऐसेजैसे बच्चा खिल उठता है मोबाइल पाने के बाद.पेड़ पे बैठे पंछी खुलकर हंसते-गाते […]