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जितनी जल्दी लौट जाऊं अच्छा होगा

मानस रंजन महापात्र (1960) ओड़िया भाषा के एक प्रख्यात कवि, अनुवादक व संपादक हैं. पांच कविता संकलन, दो कहानी संकलन एक उपन्यास तथा पचास से अधिक अनुवाद पुस्तकों के लेखक महापात्र लंबे समय तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एन.बी.टी.) नई दिल्ली के राष्ट्रीय बाल साहित्य केन्द्र के प्रमुख रहे. सेवा निवृत्त होकर इस समय वे पुरी […]

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लड़कियों की कविताऐं

लड़कियों की लिखी कविताऐं  पढ़ी नहीं जातीं  अब मुझसे,  मन भर आता है  रुंध जाता है गला  और  रुदन निकल पड़ता है.  उन्होंने लिखा इतना  दर्द भरा  मैं नहीं लिख सकता  न पढ़ ही सकता हूं.  महिलाएं, लड़कियां  दर्द सह कर  तराशती हैं आहें  अंदर के दर्द और सदमों की  नदियों में तैर कर  पीड़ाओं को

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कंचनजंघा

कब से संकल्प किया था कि एक दिन पहुंचूंगा तुम तक, कंचनजंघा! पठार से पठार आरोहण करते-करते एक दिन पहुंच ही जाऊंगा, पहुंच गया यह बताने के लिए ‘मैं’ का उच्चारण से परिचय दूंगा, कब से मैंने संकल्प किया था, कंचनजंघा! एक-एक भूमि आती है जीवन में जब पहुंच जाने का विभ्रम उत्पन्न होता है अर्ध-पथ

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