Short Story

सौदागर

एक देश था. उसमें बहुत सारे शहर थे और बहुत सारे गांव थे. गांव वाले अक्सर अपनी खरीदारी के लिए आसपास के बड़े शहरों में जाया करते थे.ऐसे ही एक शहर के एक बाजार में बहुत सारी दुकानें थीं. वहां एक ऐसी दुकान भी थी जहां पर ऐसी सारी चीज़ें मिलती थीं जिन पर एमआरपी […]

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विवशता

वह खाना खाकर सोने के लिए लेट गया लेकिन नींद आ नहीं रही थी उसे. उसकी आंखें बांस की मुंडेर देख रहीं थीं और मन, वह तो पता नहीं कहां था. तभी तो परबतिया कब आयी उसे पता भी न चला. कमरे का दिया भी परबतिया के साथ आयी हवा से बुझ गया था. अंधेरे में पता नहीं चल रहा था

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बदलाव

कल तक बेटे को, मां को घर का काम करते देख पीड़ा होती थी. सलाह भी देता कि तुम अधिक काम न किया करो, पर अब उसके विचारो में परिवर्तन आ गया था, क्योंकि कल तक वह मां का बेटा ही था, अब पत्नी वाला भी हो गया है इसीलिए पत्नी की पक्षधरता करते हुए बोला- “मां, तुम आजकल लेटी क्यों रहती

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देश की सेहत का राज़

भंडारा से बस से निकलकर नागपुर के 44 डिग्री तापमान में प्रवेश करते हुए एचबी टाउन बस स्टॉप पर उतर कर कामठी जाने के लिए मैंने शेयर ऑटो किया. ऑटोरिक्शा में बैठे युवा से कहा- “बेटा ज़रा सरक जाओ.” यह डबल डेकर ऑटो था यानी की सीट के पीछे 1 फीट ऊंची और एक सीट. वह उचककर उस पर

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परिणाम

उस शानदार महल की दीवारों पर लगे सफेद चमकीले पत्थरों का सौंदर्य देखते ही बनता था. दर्शक उन पत्थरों की सराहना किए बिना रह न सकते थे. सुंदर, चमकीले पत्थर लोगों से अपनी प्रशंसा सुन फूले न समाते.  आलीशान महल की दीवारों पर लगे शानदार पत्थरों ने एक दिन नींव के पत्थरों से कहा, “तुम्हें कौन

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आदमी कहीं का

‘भौं… भौं…’ की आवाज से मेरी तंद्रा टूटी.  आज काम में ऐसा व्यस्त हुआ कि ना अपनी सुध रही और न उन दो पिल्लों की, जिनके खान- पान का दायित्व कुछ दिनों के लिए मेरी पड़ोसन मुझे सौंप गई थी. मैं जल्दी से उठा और दोनों पिल्लों के लिए अंदर से उनका खाना ले आया.  मैंने दोनों

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“छींटे”

हमें अगले ही दिन स्वदेश के लिए निकलना था. फ्लाईट शिकागो से थी सो मुंह अंधेरे निकलना आवश्यक था. सारा दिन सामान की पैकिंग वगैरह में व्यस्त रहे थे. रात को रेणु का मन हुआ कि ओज़ान और इबरार से मिल लिया जाए. सुबह शायद मिलना संभव न हो. ओजान और इबरार तुर्की के थे

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