Book Review

सामाजिक और संवैधानिक मूल्यों की समझ बनाती पुस्तक

पूजा सिंह सचिन कुमार जैन की पुस्तक ‘सामाजिक और संवैधानिक मूल्य: अंतर्संबंध और अंतर्द्वंद्व’ सरल भाषा में मूल्यों के आपसी संबंध और उनके बीच के द्वंद्व को समझाती है. यह मूल्यों को लेकर समझ बनाने वाली एक जरूरी पुस्तक है.मानव समाज कुछ मूल्यों से संचालित होता है. हर दौर में समाज कुछ तय मूल्यों पर […]

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लघुकथा के विविध आयाम -एक ज़रूरी किताब

अंजू खरबंदा ‘सहज पके सो मीठा होय’ जब तक कथ्य सहज रूप से परिपक्व नहीं होगा और शिल्प का अधिकतम परिमार्जन नहीं हुआ होगा, लघुकथा पाठक के हृदय पर विराजेगी कैसे? भेड़ियाधसान प्रवृत्ति से बचने की सलाह देते हुए लेखक रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ ने अपनी बात स्पष्ट रूप से पाठकों के सामने रखी. विराम चिह्न

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प्रेम में होना

भारती पाठक ये कहना अतिशयोक्ति न होगी कि प्रेम ही है जिसने संपूर्ण प्राणी जगत को भावनाओं के सूत्र में पिरोकर दुनिया को रहने लायक बना रखा है. देश, काल, समाज, समय और उम्र से परे प्रेम के अनगिनत रूपों में से एक, प्रेमी प्रेमिका के रूप में अपने प्रिय को साकार देखना या उसकी

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जलधि समाना बूंद में: मन में ठिठक के ठहरती कविताएं

जलधि समाना बूंद में: मन में ठिठक के ठहरती कविताएं लेखन के क्षेत्र में प्रीता व्यास का नाम नया नहीं है. कई किताबों के लेखन और कई कविताओं और बाल गीतों को अपनी खनकती आवाज़ देने वाली प्रीता जी का ये लघु कविताओ का संकलन अपने नाम के अनुरूप ही ” जलधि समाना बूंद ”

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इंसानी लापरवाहियों का खुला बयान है ‘उदास नदियों का दर्द’

जलस्रोतों और पर्यावरण पर हज़ारों लेख लिख चुके पंकज चतुर्वेदी की इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड से हाल में प्रकाशित हुई है पुस्तक- ‘उदास नदियों का दर्द’. 375 रुपय क़ीमत की 164 पन्नों की इस पेपर बैक पुस्तक में गंगा, यमुना, गोमती, सोन, ब्रम्हपुत्र, क्षिप्रा,काबेरी, मरुगंगा सहित देश (भारत) भर की अनेक नदियों और उनकी सहायक

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कथाओं को प्रवाहमान करती “नदी की आंखें”

नवीन जोशी जी की समीक्षा प्राप्त करना सरल नहीं है यह प्रतिसाद केवल कुछ अच्छी बहुत अच्छी किताबों को ही मिल पाता है. यहां कई तरह की नदियां हैं. एक नदी लेखक के गांव में बहती है. एक नदी दूर वहां सीमेंट-  कंक्रीट मानवों के जंगल दिल्ली में गंधाती है. एक नदी उच्च हिमालय में गल के रूप में सरकती- थमती

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रेत-समाधि ठहराव के साहित्य का रेखांकन है

गीतांजलि श्री हिन्दी की दुर्लभ लेखिका हैं. उनके उपन्यास ‘रेत-समाधि’ के डेज़ी रॉकवेल द्वारा किए गए अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’ को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है. ‘रेत-समाधि’ एक अनूठा उपन्यास है. एक वृद्ध मां और उसकी बेटी की द्वंद्वपूर्ण स्थिति की पृष्ठभूमि में यह उपन्यास देश और मनुष्य का मार्मिक चित्रण करता है.  गीतांजलि श्री की

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“लव ड्रग: जुनूनी इश्क़ की अतरंगी दास्तां”

प्रेम कहानियां अमूमन सभी को पसंद होती हैं. अगर आप भी प्रेम कथा पढ़ना चाहते हैं तो इरा टाक का लिखा उपन्यास ‘लव ड्रग’ आपको एक बार ज़रूर पढ़ना चाहिए. यह उपन्यास आप एक सिटिंग में चार से पांच घंटे में आसानी से ख़त्म कर लेंगे और आपको यूं महसूस होगा, जैसे कि आपने अभी-अभी एक

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